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नाहन : हिमाचल में चरम मौसमी घटनाएं बनी विनाशकारी आपदाओं का कारण

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डलहौज़ी हलचल (नाहन ) : हिमाचल प्रदेश, जो कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है, अब एक गंभीर आपदा क्षेत्र के रूप में उभर रहा है। यहां के ऊंचे पर्वत, नदियां, पठार, और समतल क्षेत्रों की विविधता, राज्य को आपदा दृष्टिकोण से संवेदनशील बनाती है। पिछले एक दशक में, विशेष रूप से वर्ष 2016 से अब तक, हिमाचल में प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं की संख्या में चिंताजनक वृद्धि हुई है। इन आपदाओं के बढ़ने का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन और चरम मौसमी घटनाओं (Extreme Weather Events) का अचानक बढ़ना है।

2023 की त्रासदी: सबसे भयानक

वर्ष 2023 के दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान, हिमाचल प्रदेश ने अपनी अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी का सामना किया। इस त्रासदी में राज्य को लगभग 12,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और 350 से अधिक लोगों की जानें गईं। यह त्रासदी राज्य के लिए एक गहरे मानसिक और आर्थिक आघात के रूप में उभरी।

2024 का मानसून और आपदा

इस वर्ष के दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान, 11 अगस्त 2024 तक, हिमाचल में लगभग 9 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस दौरान 185 लोगों की मौत, 325 लोग घायल, और 46 लोग लापता हुए। 31 जुलाई और 11 अगस्त को चरम मौसमी घटनाओं ने राज्य के कुल्लू, मंडी, शिमला और ऊना जिलों में भारी तबाही मचाई। सिरमौर जिला भी इस तबाही से अछूता नहीं रहा, जहां 11 और 12 अगस्त को भारी बारिश के कारण विभिन्न विभागों को लगभग 13 करोड़ 57 लाख रुपये का नुकसान हुआ।

सिरमौर जिले में बादल फटने की घटनाएं

पिछले कुछ वर्षों से सिरमौर जिले में बादल फटने की घटनाओं में अचानक वृद्धि हुई है।

  • 25 सितंबर 2022 को सिरमौर के मानगढ़ बडू साहब क्षेत्र में बादल फटने से एक व्यक्ति की मौत हुई।
  • 10 अगस्त 2023 को सिरमौर के मालजी गांव में पांच लोग मलबे में फंस गए, जिन्हें बचाव दल ने सुरक्षित निकाला।
  • 12 अगस्त 2023 को नहान और पांवटा साहिब के कडईवाला और सिरमौरी ताल गांवों में बादल फटने से पांच लोगों की मौत हो गई।
  • 19 जुलाई 2024 को पांवटा साहिब के दाना गांव में बादल फटने से एक मंदिर बह गया और एक व्यक्ति की मौत हो गई।

भविष्य की चुनौतियां और सुझाव

इन घटनाओं से स्पष्ट है कि हिमाचल प्रदेश और विशेष रूप से सिरमौर जिला, चरम मौसमी घटनाओं की चपेट में है। बादल फटने की घटनाएं, जिनमें एक घंटे में 100 मिलीमीटर से अधिक बारिश होती है, अब न केवल पहाड़ी क्षेत्रों बल्कि समतल क्षेत्रों में भी देखने को मिल रही हैं। इससे बचने के लिए, हमें मौसम विज्ञान केंद्र और आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों द्वारा जारी चेतावनियों और परामर्शों का पालन करना चाहिए। खराब मौसम के दौरान अनावश्यक यात्रा से बचना और अत्यधिक आवश्यक होने पर ही घर से बाहर जाना चाहिए। इस तरह की सावधानियों से राज्य में आपदाओं से होने वाले जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकता है, जिससे हिमाचल प्रदेश को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की दिशा में एक कारगर कदम उठाया जा सकेगा।