skip to content

राजगढ़ में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाई गई राखियां बनीं आकर्षण का केंद्र, ग्राहकों को खूब पसंद आ रही

Dalhousie Hulchul
राजगढ़
Whats-App-Image-2025-02-24-at-16-46-29-3b3d3832

डलहौजी हलचल (राजगढ़ ): राजगढ़ शहर में स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups) की महिलाओं द्वारा बनाई गई राखियां लोगों को खूब पसंद आ रही हैं। महिलाओं का कहना है कि इस साल उनकी राखियों की अच्छी बिक्री हो रही है, जिससे वे उत्साहित हैं।

यह पहल राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (National Rural Livelihood Mission) के तहत राजगढ़ विकास खंड की सभी पंचायतों में स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups) के गठन के बाद शुरू हुई। इन समूहों में महिलाओं को स्वरोजगार के लिए विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण दिए गए, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।

स्वयं सहायता समूहों का योगदान रक्षाबंधन पर

रक्षाबंधन के त्योहार को ध्यान में रखते हुए, राजगढ़ विकास खंड की ग्राम पंचायत बोहल टालिया के वृजेश्वर स्वयं सहायता समूह (Vrajeshwar Self Help Group) की महिलाओं ने अपने घरों में ही राखियां तैयार कीं। समूह की सदस्य पूजा वर्मा ने बताया कि चार-पांच महिलाओं ने मिलकर लगभग डेढ़ हजार राखियां बनाई हैं, जिन्हें तैयार करने में उन्हें करीब 15 दिनों का समय लगा।

राजगढ़ में राखियों की बिक्री और प्रतिक्रिया

पूजा वर्मा ने बताया कि उन्होंने राखियों की बिक्री के लिए राजगढ़ में एक स्टाल लगाया, जिसमें चार दिनों के भीतर ही एक हजार से अधिक राखियां बिक गईं। उनकी राखियों की कीमतें भी बेहद किफायती हैं, जिनकी शुरुआत सिर्फ पांच रुपये से होती है और अधिकतम कीमत बीस रुपये तक है। लोगों ने न केवल इन राखियों को खरीदा, बल्कि उनके डिज़ाइन और कीमत को भी काफी सराहा।

वोकल फॉर लोकल के नारे को किया सार्थक

स्वयं सहायता समूह की इन महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ (Vocal for Local) के नारे को सार्थक किया है। उन्होंने स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देकर न केवल आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाया है, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनी हैं।

पूजा वर्मा का मानना है कि अन्य स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups) की महिलाएं भी इस पहल से प्रेरित होकर स्थानीय उत्पाद तैयार कर सकती हैं और अपने घरों में स्वरोजगार की दिशा में काम कर सकती हैं।

आने वाले भविष्य की संभावनाएं

राजगढ़ में इस प्रकार की पहल से न केवल स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि यह महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का भी एक महत्वपूर्ण कदम है। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने न केवल राखियों की मांग को पूरा किया, बल्कि स्थानीय बाजार में अपनी एक अलग पहचान भी बनाई है। इस प्रकार की पहलों से न केवल महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता मिलेगी, बल्कि यह गांव-गांव में रोजगार के अवसर भी प्रदान करेगा।

यहाँ देखिए हमारी video न्यूज़

Share This Article
इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है।