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निरंकारी सत्संग भवन बनीखेत में साप्ताहिक सत्संग आयोजित

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डलहौज़ी हलचल (बनीखेत) अशोक चौहडिया : स्थानीय निरंकारी सत्संग भवन बनीखेत में रविवार को साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महात्मा श्री ललित अबरोल जी ने अपने प्रवचनों में ईश्वर के ज्ञान और भक्ति के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा:
जिसकी भक्ति, जिसकी पूजा, उसका ज्ञान जरूरी है।कहे हरदेव की, पहले ईश्वर की पहचान जरूरी है।”

आध्यात्मिक विचारधारा और वैश्विक भाईचारे का संदेश

महात्मा ललित अबरोल जी ने कहा कि संत निरंकारी मिशन कोई धर्म या संप्रदाय नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक विचारधारा है। यह मिशन विभिन्न धर्मों और विचारधाराओं का सम्मान करते हुए वैश्विक भाईचारे और मानवता के कल्याण का संदेश देता है।

उन्होंने बताया कि पवित्र ग्रंथों के अनुसार, केवल साकार सतगुरु के माध्यम से ही परमात्मा की जानकारी प्राप्त हो सकती है। आत्मबोध मानव जीवन का परम लक्ष्य है और ईश्वर की अनुभूति के माध्यम से ही संपूर्ण मानव जाति के कल्याण और विश्व शांति की स्थापना संभव है।

परमात्मा की अनुभूति और ब्रह्मज्ञान

महात्मा जी ने कहा कि परमात्मा का ज्ञान सतगुरु की कृपा से संभव है। इसे ब्रह्मज्ञान कहा गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब मनुष्य को परमात्मा का साक्षात्कार हो जाता है, तब वह भ्रम, निंदा और नफरत से मुक्त होकर सद्मार्ग पर चलता है।

निरंकारी मिशन यह संदेश देता है कि परमात्मा को जाना जा सकता है। इसके लिए किसी तपस्या या भक्ति की आवश्यकता नहीं है।”
उन्होंने कहा कि सच्चे जिज्ञासु को पूर्ण सतगुरु पल भर में परमात्मा की अनुभूति करा सकते हैं।

निरंकारी सत्संग भवन बनीखेत

निरंकारी जीवनशैली का महत्व

महात्मा जी ने कहा कि निरंकारी मिशन के उपदेशों का अनुसरण ही मिशन की शिक्षा है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि हमारा व्यवहार सौहार्दपूर्ण, मेल-मिलाप वाला और सकारात्मक होना चाहिए। निरंकारी जीवनशैली को व्यवहार में लाना चाहिए, न कि केवल शब्दों में।

निरंकारी मिशन का उद्देश्य

संत निरंकारी मिशन सत्य का संदेश देश-विदेश और गांव-गांव में पहुंचा रहा है। यह मिशन सिखाता है कि परमात्मा हमारे अंग-संग है, और इसे महसूस करके हम जीवन में शांति, प्रेम और समृद्धि ला सकते हैं।

कार्यक्रम में सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे और महात्मा जी के प्रवचनों से प्रेरित होकर आध्यात्मिक विचारधारा को अपनाने का संकल्प लिया।