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एमबीबीएस बैच 2024-25 का व्हाइट कोट समारोह आयोजित: चिकित्सकीय समर्पण की नई शुरुआत

Dalhousie Hulchul
एमबीबीएस बैच 2024-25

डलहौज़ी हलचल (चंबा): सोमवार को पंडित जवाहरलाल नेहरू सरकारी मेडिकल कॉलेज, चंबा के दरबार हॉल में एमबीबीएस बैच 2024-25 का व्हाइट कोट समारोह आयोजित किया गया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य डॉ. पंकज गुप्ता ने विशेष रूप से उपस्थिति दर्ज करवाई और नए प्रशिक्षुओं को सफेद कोट पहनाकर चिकित्सा क्षेत्र में उनके समर्पण का आह्वान किया।

व्हाइट कोट का महत्व और जिम्मेदारियां

प्राचार्य डॉ. पंकज गुप्ता ने समारोह के दौरान चिकित्सा क्षेत्र में सफेद कोट के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह एक औपचारिक कार्यक्रम है, जो स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में प्रवेश करने वाले प्रशिक्षुओं के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उन्होंने कहा, “सफेद कोट आपको पहचान, आत्मविश्वास, सशक्तिकरण और सम्मान प्रदान करता है, लेकिन इसके साथ ही यह नई चुनौतियां और जिम्मेदारियां भी लाता है।”

चिकित्सा पेशे की चुनौतियों पर चर्चा

डॉ. पंकज गुप्ता ने चिकित्सकीय पेशे की महत्ता और कर्तव्यों पर जोर देते हुए कहा, “चिकित्सा एक महान पेशा है, जिसमें कड़ी मेहनत, समर्पण, प्रतिबद्धता, करुणा, और सहानुभूति की आवश्यकता होती है।” उन्होंने प्रशिक्षुओं से इस क्षेत्र में समर्पित होकर कार्य करने की अपील की।

एमबीबीएस बैच 2024-25
एमबीबीएस बैच 2024-25

रैगिंग के प्रति सख्त संदेश

प्राचार्य ने रैगिंग के संबंध में स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि कॉलेज में रैगिंग को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने सभी प्रशिक्षुओं को सलाह दी कि अगर उन्हें किसी भी तरह की रैगिंग की घटना का सामना करना पड़े, तो तुरंत प्राचार्य या एंटी रैगिंग कमेटी के किसी सदस्य को सूचित करें। उन्होंने परिसर के भीतर और बाहर अनुशासन बनाए रखने की भी अपील की।

उपस्थित अतिथियों और डॉक्टर्स का योगदान

इस अवसर पर कॉलेज के अन्य वरिष्ठ डॉक्टरों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। समारोह में उपस्थित प्रमुख डॉक्टरों में डॉ. प्रदीप सिंह, डॉ. जावेद मुल्ला, डॉ. बिमला, डॉ. श्रीधर राव, डॉ. मानिक सहगल, डॉ. आदित्य कश्यप, डॉ. बलरीत, डॉ. अमित, डॉ. पूजा, डॉ. श्वेता, डॉ. डेजी, डॉ. रणदीप मान, डॉ. सुनील और स्टूडेंट सेक्शन से गजन सिंह शामिल थे।

नए प्रशिक्षुओं के लिए प्रेरणादायक कार्यक्रम

समारोह के माध्यम से चिकित्सा क्षेत्र में कदम रखने वाले नए प्रशिक्षुओं के लिए यह एक प्रेरणादायक अनुभव रहा। व्हाइट कोट पहनने की इस परंपरा ने उन्हें चिकित्सा सेवा में अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की ओर प्रेरित किया।

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