डलहौज़ी हलचल (मंडी): थोड़ी सी प्रेरणा, अपनों का साथ और सरकार की मदद ने ग्राम पंचायत भडयाल की उर्मिला की जिंदगी बदल दी है। एक सामान्य गृहिणी से आत्मनिर्भर उद्यमी बनने की उनकी यात्रा में सरकार की योजनाओं और स्वयं सहायता समूह ने अहम भूमिका निभाई है।
कुछ साल पहले तक उर्मिला का जीवन अपने परिवार, बच्चों और घर-गृहस्थी के काम में ही बीत रहा था। लेकिन जब उन्होंने बाला कामेश्वर स्वयं सहायता समूह से जुड़ने का निर्णय लिया, उनकी जिंदगी में बदलाव की शुरुआत हो गई। समूह से जुड़ने के बाद उर्मिला को महिलाओं के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही महिला सशक्तिकरण योजनाओं की जानकारी मिली, जिसने उनके सपनों को एक नया पंख दिया।

व्यवसाय की शुरुआत
उर्मिला के पति गोपाल सिंह निजी क्षेत्र में मोटर मैकेनिक का काम करते थे। उनकी आर्थिक मदद करने के लिए उर्मिला ने पहले कपड़ों का व्यापार शुरू किया, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में यह काम सफल नहीं हो पाया। इसके बाद उन्होंने स्वयं सहायता समूह से 50,000 रुपये का ऋण लिया और फास्ट फूड का व्यवसाय शुरू किया। कुछ समय बाद, उन्होंने एक लाख रुपये का और ऋण लिया और अपने फास्ट फूड के काम को बढ़ाया।
उन्हें प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम (PMFME) योजना के तहत 40,000 रुपये का अतिरिक्त ऋण भी मिला। अब, उर्मिला का ‘जालपा फास्ट फूड’ नाम से भडयाल बाजार में शुरू किया गया व्यवसाय अच्छी तरह से चल रहा है, जिससे उन्हें प्रतिमाह 20,000 रुपये से अधिक की शुद्ध आय हो रही है।

उर्मिला की सफलता की कहानी
उर्मिला ने बताया कि इस उद्यम को शुरू करने में उनके पति का निरंतर प्रोत्साहन और सहयोग मिला। अब वे अपने व्यवसाय को और विस्तार देने की योजना बना रही हैं। इससे उनकी पारिवारिक आय में इज़ाफा हुआ है, और वे अपने दो बच्चों की शिक्षा और अन्य आवश्यकताओं को आसानी से पूरा कर पा रही हैं।
उर्मिला का कहना है कि सरकार की योजनाओं और स्वयं सहायता समूह से उन्हें बड़ी मदद मिली है। समूह के जरिए केवल एक प्रतिशत की ब्याज दर पर ऋण प्राप्त कर, उनकी आर्थिक परेशानियां कम हुईं और वे अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक शुरू कर पाईं।

सरकारी योजनाओं की भूमिका
उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बताया कि मंडी जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है। 2023-24 में इस योजना के तहत लगभग 29 करोड़ 33 लाख रुपये की ऋण राशि 1257 स्वयं सहायता समूहों को वितरित की गई है। 2024-25 की प्रथम तिमाही में भी 95 स्वयं सहायता समूहों को दो करोड़ 51 लाख रुपये की ऋण राशि प्रदान की गई है, जिससे ग्रामीण महिलाओं को उद्यमिता की दिशा में आगे बढ़ने का मौका मिला है।
उर्मिला जैसी महिलाओं की सफलता की कहानियां यह दर्शाती हैं कि अगर उन्हें उचित सहयोग और संसाधन मिले तो वे आत्मनिर्भरता की राह पर मजबूती से आगे बढ़ सकती हैं। सरकार की योजनाओं और अपनों के सहयोग ने उर्मिला को सामान्य गृहिणी से सफल उद्यमी बनने का अवसर दिया है।