डलहौज़ी हलचल (बनीखेत): आज रविवार को सन्त निरंकारी सत्संग भवन बनीखेत में आयोजित साप्ताहिक सत्संग में महात्मा दीप जसवाल जी ने श्रद्धालुओं को प्रेरणादायक प्रवचन दिए। अपने अमृतमयी वचनों में उन्होंने कहा कि परमात्मा को जानना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसे मानना भी आवश्यक है। आनंद का सच्चा अनुभव तभी संभव है जब हम परमात्मा को जानकर उसे अपने जीवन में स्वीकार करते हैं।
महात्मा दीप जसवाल जी ने बताया कि परमात्मा कण-कण में व्याप्त है और इसका बोध केवल पूर्ण गुरु द्वारा ही संभव है। उन्होंने कहा कि गुरु का संदेश है कि गृहस्थ जीवन में रहकर ही इंसानियत की सेवा करें, दूसरों के दुख-दर्द में सहभागी बनें और उनकी खुशियों में शामिल हों। उन्होंने जोर देकर कहा कि ईश्वर उन्हीं को प्रिय है जो मानवता से प्रेम करते हैं और परोपकारी जीवन जीते हैं।

सद्गुरु के उपदेशों का अनुसरण आवश्यक
दीप जसवाल जी ने कहा कि परमात्मा के बोध के बाद ही हम निरंकारी कहलाते हैं, परंतु वास्तविक निरंकारी बनने के लिए सद्गुरु के उपदेशों का अनुसरण करना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि धर्म-मजहब के बंधनों के कारण आज का विश्व आपसी वैमनस्य का शिकार है। यदि हम यह समझ लें कि राम, रहीम, मौला सभी एक ही हैं, तो आपसी संघर्ष का कोई कारण नहीं रहेगा।
श्रद्धालुओं ने भजन और कविताओं से किया गुणगान
इस अवसर पर टप्पर, चौहडा सिमणी, गोली, बाथरी, चिडिद्रवड आदि गांवों से आए श्रद्धालुओं ने भजन, प्रवचन और कविता के माध्यम से कण-कण में विराजमान परमात्मा का गुणगान किया। भक्तों ने परमात्मा के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण का भाव प्रकट करते हुए सत्संग का पूरा आनंद लिया।
महात्मा दीप जसवाल जी के इस प्रेरणादायक सत्संग से श्रद्धालुओं को ईश्वर के प्रति प्रेम और सेवा भाव के महत्व का ज्ञान प्राप्त हुआ।