
बता दें कि, शिमला-कालका रेलवे उत्तर भारत में नैरो-गेज रेलवे है जो कालका से शिमला तक ज्यादातर पहाड़ी मार्ग को पार करती है। ये पहाड़ियों और आसपास के गांवों के सुंदर दृश्यों के लिए जाना जाता है। शिमला-कालका रेलवे ट्रैक में कुल 18 सैक्शन हैं।
गौर हो कि प्रदेश में तेज बारिश के बाद लगातार भूस्खलन हो रहा है। दो दिन पहले ही चंबा जिले के सलूनी अनुमंडल के अंतर्गत कोटी-पुल के पास भूस्खलन की घटना सामने आई थी, जिससे भलेई-कोटि मार्ग पर भारी मलबा गिरने से मार्ग बाधित हो गया था। जब पहाड़ी का हिस्सा नीचे गिरा तो कोटी पुल पर एक दर्जन से अधिक लोग गुजर रहे थे, जो भूस्खलन के दौरान जान बचाने के लिए पुल की दूसरी ओर भागे।
पुल से कुछ दूरी पर मलबा गिरा। अगर पुल पर मलबा गिरता तो यह बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो सकता था, साथ ही इसके ऊपर से गुजरने वाले लोगों की जान को भी खतरा हो सकता था। इससे पहले चंबा जिले में चंबा-भरमौर मार्ग पर बग्गा बांध के पास भूस्खलन की एक और घटना की सूचना मिली थी। जिससे वाहनों की आवाजाही कई घंटों तक बाधित रही।
करीब 10 दिन पहले हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में भी भारी भूस्खलन हुआ था। घटना के बाद बागीपुल-जांव मार्ग अवरुद्ध हो गया था। इस दौरान हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में भी भूस्खलन की खबर मिली थी। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बताया था कि भूस्खलन में आठ लोग घायल हो गए थे। आटा चक्की के पास एक निर्माण स्थल पर भूस्खलन हुआ था। राज्य में खराब मौसम के कारण नदियां उफान पर हैं और लगातार भूस्खलन की खबरें सामने आ रही हैं।